कुछ लोगों के जीवन में दुःख और तक़लिफे कुछ ज्यादा होती है, क्योंकि उन्होंने वैसे ही, दुःख और तक़लिफे पैदा करने वाले बीज बोये हुए होते हैं। कुछ लोग...
इस पृथ्वी पर का अंतिम सत्य है मौत। अपने शरीर सहित सभी चीजों का नष्ट होना, बनना और बिगड़ना। इस पृथ्वी पर का अंतिम सत्य है एक दिन मनुष्य...
नहीं! प्राण और आत्मा दोनों एक नहीं है। प्राण और आत्मा दोनों बिल्कुल अलग है। प्राण वायुतत्व है, वायुतत्व को प्राण कहते हैं। और आत्मा जो है प्राण से...
भविष्य निश्चित कभी भी नहीं होता, भविष्य हमेशा आज़ हमारे हाथ में होता है। हमारे आज़ के प्रयास कल का भाग्य या भविष्य होते हैं। हम हमारे आज़ के...
ध्यान में मृत्यु होगा तो अच्छा ही होगा, जीव का हमेशा के लिए कल्याण होगा। जनम जनम से परमात्मा से बिछड़ा, दुःखी जीव जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त...
एंजेल्स यानी देवदूत, धरती पर के देवी-देवता। अगर हम देवताओं जैसा, निस्वार्थ प्रेम-भाव, सेवाभाव, देनेवाला स्वभाव रखते हैं, अगर हम परमात्मा को, हमारे अपने सद्गुरु भगवान जी को हम...
मृत्यु क्यों एकमात्र अटल सत्य है? शरीर की मृत्यु निश्चित है, शरीर की मृत्यु एक अटल सत्य है पर आत्मा की नहीं। शरीर नश्वर है और आत्मा अमर वस्तु...
एक सच्चा आत्मज्ञानी नित्य जागा हुआ, अपने ही वीरागता की अनुभूति में रमने वाला, शांतमन व समाधानी, अपने मे ही पूर्ण होता है। उसे अपने खुशी के लिए किसी...
हां! दुनिया का हर सुख दुःख का पूर्वरूप है। और हर दुःख के पिछे सुख छिपा होता है। दुनिया में कोई भी सुख ऐसा नहीं है, जो दुःख से...
सतयुग यानी सत्यव्रता, सत्यवादी, देवताओं जैसे, ऋषि मुनियों जैसे तप और ध्यान-धारणा करने वाले ईमानदार, नेक, धर्म का पालन करने वाले, तपस्या करने वाले लोगों का युग। सतयुग के...