बार्डो मृत्यु की ओर, जीवन के सबसे गहरे रहस्य की एक सचेतन यात्रा है।
एक हजार से अधिक वर्षों से, तिब्बत के लोगों ने बौद्ध धर्म के एक अद्वितीय रूप को संरक्षित किया है
तिब्बती परंपरा की पहचान ध्यान, आध्यात्मिक अध्ययन और नैतिक जीवन के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण है।
हमारी अचेतन मृत्यु चिंता पूरी तरह से और खुशी से जीने की हमारी क्षमता में हस्तक्षेप करती है, लेकिन हम मृत्यु से केवल इसलिए डरते हैं क्योंकि यह अज्ञात है, और प्रतीत होता है कि यह अज्ञात है। सचेत रूप से हम जो कुछ भी मानते हैं उसे त्यागकर, हम अपने अस्तित्व के अमर केंद्र का अनुभव करते हैं, और मृत्यु को उसके रूप में देखते हैं – एक भ्रम।
बारदो के सूत्र व्यक्ति को ये एहसास कराने के लिए हैं कि तुम एक यात्रा पर निकल रहे हो इसलिए बोध या फिर जागरण की अवस्था में रहो। जब भी मृत्यु शय्या पर लेटा हुआ व्यक्ति आंख मूंदने लगता है तो उसके कान में बारदो के सूत्र को दोहराया जाता है। उससे कहा जाता है कि तुम केवल शरीर त्याग रहे हो इसका तुम्हें भान होना चाहिए
एक एक कदम मौत आगे बढ़ रही, एक एक साँस खर्च हो रही हम रोज किसी न किसी की अर्थी उठते देखते हैं फिर भी भूले बैठे हैं कि हमारा नंबर भी आ ही रहा है, जिस काम के लिए मनुष्य जन्म पाया वह काम तो हमने किया ही नही…. जो साथ जाएगा वो तो कमाया ही नही कभी उस रूह के बारे में सोचा जो परमात्मा से बिछड़ी है जन्मो जन्मो से इस जामे से उस जामे भटक रही है …अब अगर मौका मिला है “सद्गुरु” का साथ मिला है क्यों न वो काम भी कर ले, सिर्फ भजन सिमरन ही तो करना है नौकरी करते रहो बिज़नस करते रहो स्कूल कॉलेज जाते रहो घर गृहस्थी सँभालते रहो उठते बैठते उस मालिक को याद करना है
हमें ऐसा आचरण करना चाहिये जो साधारण लोगों के लिए प्रमाण बन जाये और स्वतः उनके मुख से निकले कि धन्य हैं इनके सदगुरु जिनसे इसे आत्मिक शान्ति प्राप्ति हुई है
मन और इंद्रियों के अधीन नहीं रहना चाहिये। परीक्षा के समय तो और भी अधिक सतर्क रहे। यदि कोई कटु या कर्कश बोलता है तो उसके साथ भी उसको वैसा नहीं बोलना चाहिये, नहीं तो सत्संगी और साधारण मनुष्य में क्या अन्तर हुआ।
तुमसे यदि कोई अनुचित व्यवहार करे तो तुम क्रोधित न होवो। सदगुरु का ध्यान करो और उनके वचन याद करो
बुरे से बुराई न करो अपितु बुराई सोचो भी न। इस साधन को अपनाने से तुम भी बुराइयों से बच जाओगे और धीरे-धीरे बुरों को भी भला बना लोगे।।
तुम यद्यपि पूर्ण सेवक हो फिर भी आज्ञा माने बिना कृपा उपलब्ध नहीं होगी और कृपा बिना निस्तार नहीं होगा।।
प्रेम सहित बोलो जयकारा बोल मेरे श्री
गुरुमहाराज जी की जय जय जय!!!
कोटि कोटि शुकराना प्रभु जी
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शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन

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