मृत्यु के बारे सबके अलग-अलग विचार और मृत्यु के वक्त सबकी अलग-अलग स्थिति होती है।मृत्यु किसी के लिए अच्छी या किसी के लिए बूरी हो सकती है। किसी रोग...
जब-तक मनुष्य भगवान को तत्व से नहीं जानता, जब-तक मनुष्य भगवान का वास्तविक स्वरूप और कर्म-बंधनो के नियमों को नहीं जानता तब-तक भगवान को दोष देता रहता है। चाहे...
कर्म बड़ा है, कर्म प्रधान है, कर्म सर्वोपरि है। कर्मों से ही भाग्य बनता है। कर्मों से ही भाग्य का निर्माण होता है। मनुष्य खुद अपने कर्मों द्वारा अपने...
टैलीपैथी यह आध्यात्मिक राह पर बहुत आगे बढ़े हुए, शांतमन, अंतर्मुख, अपने मन का लगभग लय करके विश्व मन से एकरुपता हासिल किए हुए व्यक्तियों को मिलने वाली एक...
नामस्मरण से मुक्ति मिलेगी और ध्यान-योग से नहीं यह बात ग़लत है। और नाम-जाप को भी केवल रटने मात्र से मुक्ति नहीं मिलती। मुक्ति के लिए नाम भी सदगुरु...
आत्मा के मुक्त होने के बाद का जन्म किस कर्म के आधार पर होता है? आत्मा अगर मुक्ति प्राप्त कर लेती है तो इसका सीधा मतलब ही यही है...
जी बिल्कुल! हम यह जान सकते हैं की, हम इस धरती पर क्यों आएं हैं और हमारा यहां आने का आख़िर उद्देश्य क्या है।और हमे हर हाल में यह...
हम क्यों जी रहे है, क्या वास्तव में जीवन का कोई उद्देश, जीने का अर्थ होता है? हम जी रहे हैं क्योंकि हम मनुष्य शरीर लेकर यहां धरती पर...
क्या शरीर से आत्मा निकल जाने के बाद ,जीवन लीला याद रहती है? शरीर छोड़ते ही जीव शरीर के बाहर ही उसके आसपास चक्कर लगाते रहता है, क्योंकि उसे...
सूक्ष्म शरीर, जीव,और आत्मा में क्या अंतर है, इनका क्या कार्य है? शास्त्रों में हम पंच कोषों की बात करते हैं, या हमने सुनें है, उसमें से स्थूल शरीर...