जी बिल्कुल! हम यह जान सकते हैं की, हम इस धरती पर क्यों आएं हैं और हमारा यहां आने का आख़िर उद्देश्य क्या है।
और हमे हर हाल में यह जानना ही होगा। हमे हर हाल में अभी, इसी जन्म में उसके लिए प्रयास करना ही होगा। क्योंकि मनुष्य जन्म अनमोल है और उसके पास एक सिमीत समय है।
मनुष्य का जीवन, मनुष्य का देह बार-बार नहीं मिलता। हमारी आत्मा बेशक पुरानी है। हम पहले भी यहां बहुत बार आ चुके हैं, हम यहां एक लक्ष्य लेकर आतें रहें हैं, लेकिन अभी तक उस लक्ष्य को पूरा न कर सके। हमारा अधूरा वह जो मूलं उद्देश्य था, हमारे आज़ यहां इस धरती पर आने का जो मूल उद्देश्य है वह आज़ भी अधूरा है और उसे पाना ही, उसे पूरा करना ही हमारा यहां आने का मूल उद्देश्य है, लक्ष्य है। उसी के लिए हम धरती पर बार-बार आतें हैं, अभी भी इसलिए ही आएं हुए हैं।
हमारी आत्मा पूरानी है। आत्मा अमर है, आत्मा नहीं मरती सिर्फ शरीर मरता रहता है। हमारी यहां आने और जाने की बहुत पूरानी यात्रा है। हम इस धरती पर पहले भी अनेकों बार आ चुके हैं।
आत्मा के उपर पड़ा हुआ अज्ञान का आवरण जब-तक नहीं हटता यह आने जाने की यात्रा, यह आने जाने का खेल चलता रहता है।
हम शरीर नहीं है, हम आत्मा है। शरीर बदलने है, आत्मा नहीं बदलतीं। अज्ञान के कारण हम अपने सच्चे स्वरूप को भूल गए हैं, इसलिए भटकें हुए हैं। हमारा यहां धरती पर आने का मूल उद्देश्य है अपने इस भटकन से पीछा छुड़ाना, अज्ञान को हटाना, अपने स्वयं के स्वरूप को जानना, और मुक्त हो जाना।
हम यहां इस धरती पर क्यों आएं हैं और हमारा यहां आने का मूल उद्देश्य, हमारा लक्ष्य क्या है उसे जानने के लिए हमें सदगुरु के पास, किसी सच्चे सदगुरु की शरण में जाना होगा। क्योंकि हम केवल शरीर को जानते हैं, जो हम नहीं है। शरीर हमने पहना हुआ एक कपड़ा है, शरीर हमारा वस्त्र है, हमारा घर है, एक आवरण है। हम शरीर के भीतर रहते हैं, पर हम शरीर नहीं है।
हमे स्वयं को, अपने खुद को ही जानने के लिए सदगुरु की मदद लेनी होगी। सदगुरु की शरण में जाकर उनका साथ और हाथ पकड़कर हमारा मूल उद्देश्य जो की मोक्ष की प्राप्ति हैं, उस तक पहुंचना होगा।
हमारा धरती पर आने का उद्देश्य यहां का सबकुछ पाना नहीं था, नहीं है। हमारा यहां आने का मूल उद्देश्य है अपने स्वयं तक पहुंचना, जन्मों की भटकन से शांत होना, सुखी होना।
हम यहां सबकुछ पाते हैं, लेकिन अपने स्वयं से ही दूर रहते हैं। इसलिए सबकुछ पाकर भी जीवन में एक खोखलापन कुछ तो कमी है की एक बेचैनी बनी रहती है।
यहां कोई भी घटना बेवजह नहीं होती। हम यहां हैं इसका मतलब हमारे यहां होने का जरुर कोई बड़ा उद्देश्य, बड़ा कारण है। और वह उद्देश्य है अपने “मैं कौन हूं” को तत्व से जानना। और उसे सदगुरु के उपदेश और मार्गदर्शन में अपने ही भीतर उतरकर ध्यान अभ्यास से जाना जाता है।
धन्यवाद!