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चलो आज एक नई प्रार्थना करते हैं…. धैर्य, त्याग, अनुशासन और समर्पण से। अपने संस्कारों को सींचते हैं, लोभ, मोह, स्वार्थ और द्वेष को छोड़ते हैं, चलो हम अपने गुरुदेव से कुछ सीखते हैं।
मेरे आंचल की खुशियां तो, तुम्हारी ही अमानत है। मैं निरा एक पत्थर थी तूने हीरे की संज्ञा दी। खनन में वर्षों है बीते थें मैं मिट्टी की ढ़ेर, लगीजो हाथ तेरे, तभी ये रूप है पाया। पारखी तेरी नज़रों ने मुझे इस ताज में डाला। मेरे आंचल की खुशियां तो, ही अमानत है ।।
हर सांस का समर्पण हर आस का समर्पण रक्षा सदा करुंगा , विश्वाश का समर्पण 🙏🏻
जिसकी वजह से देखा, है जीत का ये दर्पण । उस प्यारे से गुरु पर, मेरा शब्द शब्द अर्पण ॥
मुझे अपने सतगुरु को समर्पित होने के बाद ही मुझे अपनी शक्तियों का पता चला है उनके सामने समर्पण कर दो और हम सबको पता चल जाएगा कि हम क्या करने में “सक्षम” हैं अर्थात जब तक मैं अपने परमहंस प्यारे से सतगुरु से नहीं मिली थी तब तक मुझे अपनी शक्तियों का ज्ञान नहीं था ,लेकिन जब मुझे गुरु दीक्षा मिली तब मुझे पता चला कि मैं कौन हूं मैं स्वयं को आत्मा के रूप में देखती हूं।जब हम सर्वोच्च परमात्मा के सामने “आत्मसमर्पण” कर देते हैं तो आपकी लड़ाई मेरी बन जाती है बस आत्मसमर्पण करें और मुझे तुम्हारे लिए लड़ने दो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमने जीवन में अब तक क्या हासिल किया है?
हमारा सबसे अच्छे समय आना अभी बाकी है जब हम सब आसपास के लोगों के शब्दों से घायल हो जाते हैं तब हमें एक मात्र शब्द की शरण ले जो हमें ठीक करता है गुरु महामंत्र अर्थात गुरु “महामंत्र” वह मंत्र है जो हमारी नैय्या को इस भवसागर से पार लगा देता है।
शालिनी साही 🙏🏻
🌞 सेल्फ अवेकनिंग मीशन