सामर्थ्य किसी का भी हो, साधारण नहीं होता है। यदि सामर्थ्य को जगा दिया जाए तो दुनिया के बाकी सभी लोगों के सामर्थ्य फीके के पड़ जाते हैं। व्यक्ति अच्छा हो या बुरा सामर्थ्य एक समान होता है। लेकिन अधिकतर लोग अपने सामर्थ्य को न जानते हैं और न पहचानते हैं। यदि एक अच्छा व्यक्ति जगता है तो बाकी सभी खराब लोगों से तांडव नृत्य करा देता है और यदि एक खराब व्यक्ति जाग जाता है, तो अच्छाई पर भारी पड़ता है और अच्छे-अच्छे लोगों से तांडव नृत्य करा देता है।
भावार्थ यह है यदि दुनिया में अच्छाई का मेला देखना चाहते हो तो अच्छे लोगों को आकर्षित करके अच्छाई के अग्निकुंड में आंदोलन रूपी घी डालना शुरू करो ।। कहते हैं इतिहास एक दिन में नहीं बनता है लेकिन एक दिन इतिहास की आधारशिला जरूर रखी जा सकती हैं। यदि इस पृथ्वी को सदाचारी संस्कारों की गंगा में नहाते देखना चाहते हो तो गंगा के अविरल प्रवाह को जन जन तक प्रवाहित करने का वीणा उठा लो । एक दिन सदाचार की गंगा पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित किए बिना नहीं रहेगी।