जब प्रयास होते हैं तभी परिणाम मिलते हैं। इसलिए सोए हुए समाज को जगाने के लिए कुछ सनकी लोगों की आवश्यकता है, जो अपने ज्ञान के सामर्थ्य से जन जागरण अभियान चला सकें।
राष्ट्र को जगाने के लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो समाज में व्यापक पैमाने पर राष्ट्र हितैषी सोच का विस्तार कर सकें। जो अपने शब्दों से लोगों की आत्मा को झकझोर कर रख दें। जो अपनी आवाज से लोगों की सोई हुई चेतना को जगा दें।
भविष्य उसी का होता है जो भविष्य की अपने अनुकूल परिभाषा तय कर देता है और लोगों को समझने में सफल हो जाता है। एक छोटा सा विचार क्रांति का कारण बनता है। सामर्थ्य व्यक्ति में नहीं होता है। सामर्थ्य विचारों में होता है, सामर्थ्य विश्वास में होता है और सामर्थ्य समृद्ध कल्पनाओं में होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामर्थ्य की सीमाओं का निर्धारण स्वयं कर सकता है। आप की सीमाएं आप की कल्पना की सीमाओं पर निर्भर करती हैं।
सामर्थ्य किसी का भी हो, साधारण नहीं होता है। यदि सामर्थ्य को जगा दिया जाए तो दुनिया के बाकी सभी लोगों के सामर्थ्य फीके पड़ जाते हैं। व्यक्ति अच्छा हो या बुरा सामर्थ्य एक समान होता है। लेकिन अधिकतर लोग अपने सामर्थ्य को न जानते हैं।