जीवन में चार लक्ष्य हैं,अर्थ धर्म काम और मोक्ष। इनका हमारे जीवन में क्या अर्थ है?
मनुष्य जीवन में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष यह चार पुरुषार्थ कहें गए है। मानव जीवन में चार आश्रम जैसे की ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और अंतिम संन्यास आश्रम। इन चारों आश्रम और धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष इन पुरुषार्थों का बहुत बड़ा महत्व है।
मनुष्य का मुख्य लक्ष्य उसकी अंतिम गति मोक्ष ही है, लेकिन उसे मोक्ष को पाने के लिए इन चारों आश्रमों और चारों पुरुषार्थों से होकर गुजरता पड़ता है। इन चारों को साध्य करके मनुष्य आगे अंतिम गति में, मोक्ष में चला जाता है। इसमें मोक्ष ही समस्त पुरुषार्थों का साध्य है और धर्म, अर्थ और काम इसके, यानी मोक्ष तक पहुंचने के साधन है।
अर्थ और काम मनुष्य के भौतिक या लौकिक जीवन से जुड़ा हुआ है, और धर्म उसके भौतिक और अध्यात्मिक, लौकिक और पारलौकिक जीवन को जोड़ने की एक कड़ी है।
और मोक्ष का संबंध उसके पारलौकिक जीवन से है, मोक्ष का संबंध मनुष्य के आत्मा से है।
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष यह चारों भी पुरुषार्थ धीरे धीरे मनुष्य को प्रवृतियों से निवृत्ति की ओर, प्रकृति से परमात्मा की ओर, जड़ता को चेतनता की ले जाते हैं।
मनुष्य जीवन में अर्थ और काम का भी महत्व है। अर्थ के बिना मनुष्य कोई भी धार्मिक कार्य नहीं कर सकता। पुण्यों कर्मों को जोड़ने के लिए, दान सेवा या परिवार के पोषण के लिए अर्थ चाहिए। और नियंत्रित काम मनुष्य जीवन में एक औषधि का काम करता है। पुरुषार्थ के रुप में काम का स्थान भी धार्मिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण रखा गया हैं।
धर्म मनुष्यो के अपने स्वयं के प्रति और समाज कल्याण के प्रति भी कर्तव्यों की एक श्रृंखला है। धर्म के माध्यम से व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन को सामाजिक जीवन से तथा इस लोक को परलोक से जोड़ता है। मनुष्य जीवन में धर्म वह कड़ी है जो उसकी भौतिकता को अध्यात्मिकता से जोड़ती है। जिससे लौकिक उन्नति और आत्मा का पारलौकिक कल्याण हो वह धर्म है।
इन चारों आश्रमों और चारों पुरुषार्थों का आश्रय लेकर मनुष्य धीरे धीरे ईश्वराभिमुख होकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। मानव जीवन का विकास और उसका अंतिम लक्ष्य उसके तीव्र पुरुषार्थ पर ही निर्भर करता है। यह चारों पुरुषार्थ मनुष्य जीवन के आधार है, जिसके माध्यम से मनुष्य अपना जीवन सफलता पुर्वक जीता है और अंत में मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
मनुष्य जीवन का अंतिम और चरम लक्ष्य मोक्ष है।
धन्यवाद!