
मेडिटेशन से, ज्ञानदान में मिले गुरुमंत्र को अजपा गायत्री जाप, या श्वासो का जाप अजपा-जाप जपने से हमारे शरीर के सातों चक्र संतुलित होते हैं। संतुलित सात्विक (सीधा नेचर से आया हुआं खाना) आहार-विहार और व्यायाम से भी हमारे शरीर के सातों चक्र संतुलित होते हैं।
चक्र संतुलन के बाद मन शांत रहता है। पुरा जीवन ही बदल जाता है। पहले जैसा कुछ भी नहीं रहता। हमारे अंदर की चिड़चिड़ाहट गायब हो जाती है। अंतर में शांति बनी रहती है। समाधान घटित होता है। सदा आनंद की अवस्था बनी रहती है। हमारे अंदर सब तरह से सकारात्मकता घटित होती है।
पहले जो चीजें बड़ी कठिन और मुश्किल लगतीं थी, उन समस्याओं को चक्र संतुलन के बाद हम चुटकियों में हल करना जानते हैं। पुरा मुश्किल जीवन आसान और हल्का हल्का हो जाता है। चक्र संतुलित व्यक्ति, पुरा व्यक्ति ही संतुलित हो जाता है। वह कही भी,कैसी भी हालत में अपने को अडजेस्ट कर लेता है।
चक्र संतुलित व्यक्ति मुर्खों के बीच में हो, या बुद्धिमानी -ज्ञानियों के बीच में बिल्कुल सहजता से रहता है। और सभी प्रकृति के लोग भी उनके साथ अपने को सहज और सुरक्षित महसूस करते हैं।
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