https://youtu.be/j7VzelCKzfE?si=Aei_xQrgOj_FuG2I
कैसे जाग्रत करें नीचे के चार चक्र?👇
💫आधार चक्र: मूलाधार
मूलाधार चक्र को जगाने के लिए नियमित इस चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए। मूलाधार चक्र के असंतुलन से शारीर में विभिन्न शारीरिक रोग हो सकते हैं, जैसे कि गुर्दे की बीमारी, गर्भाशय की समस्या, प्रोस्टेट की समस्या इत्यादि… मूलाधार चक्र के असंतुलन से व्यक्ति में असमंजस, धर्मिक अनियमितता, धार्मिक संकट, आध्यात्मिक उदासीनता आदि सांस्कृतिक रोग हो सकते हैं।ध्यान लगाते समय “लं” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसके अलावा जीवन में अच्छे कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। प्रतिदिन व्यायाम, योगा आदि करना चाहिए। इसे जाग्रत करने से व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद के भाव आते हैं।
💫स्वाधिष्ठान चक्र
दूसरा चक्र होता है स्वाधिष्ठान जो मूल से थोड़ा-सा ऊपर होता है। अगर इसे जागृत कर लिया जाए तो क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश होता है। इस चक्र को जाग्रत करने के लिए घुटनों के बल सीधे बैठ जाएं और हाथों को अपने जांघों पर रखें। इसके बाद हथेलियों को आपस में एक गोले की तरह जोड़कर चक्र पर ध्यान लगाएं। इस योग के दौरान “वं” मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।
💫मणिपुर चक्र:
नाभि के पास मौजूद चक्र को मणिपुर चक्र कहते हैं। इस चक्र को जाग्रत करने के लिए घुटने के बल बैठकर हाथों को पेट के पास ले जाकर नमस्कार की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद मन ही मन “” मंत्र का जाप करते हुए चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए
💫अनाहत चक्र
हृदय स्थल में स्थित होता है अनाहत चक्र । दिल के पास रहने वाले इस चक्र के प्रभाव से मनुष्य में कला का गुण आता है। ऐसे लोग हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते रहते हैं। इस चक्र को के लिए योग की मुद्रा में बैठ जाएं और अंगूठे से तर्जनी उंगली को छूएं। अब एक हाथ को हृदय पर रखें और एक हाथ को जांघों पर रखे रहें। मन ही मन “यं” मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
💥🌟💥🌟💥🌟💥🌟
शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *